


खनिज कारोबारी आनंद गोयनका को मोहन सरकार से राहत नहीं मिल पाएगी। कटनी जिले में खनिज पट्टा आवंटन को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबित विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) को किसी भी कीमत पर वापस नहीं लेने का फैसला हुआ है। वन विभाग ने मंगलवार को पूर्व में जारी एसएलपी वापस लेने के निर्देश रद्द कर दिए।
ये है मामला
जानकारी के अनुसार, 1994 में आनंद गोयनका को झिन्ना व हरैया गांव में खनिज पट्टा दिया गया था, जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया। इसके खिलाफ कारोबारी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, जहां से उसे राहत मिली। लेकिन प्रदेश सरकार ने इस राहत को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर दी थी। विशेषज्ञों का कहना है कि एसएलपी वापस लेने के निर्देश नियमों के विपरीत थे, इसलिए वन विभाग ने इन्हें निरस्त किया है। अब मामला सुप्रीम कोर्ट में ही जारी रहेगा और गोयनका को पट्टा आवंटन पर राहत नहीं मिलेगी।
सरकार के दो मंत्रियों ने की थी सिफारिश
पूर्व में तत्कालीन वनमंत्री नागर सिंह चौहान के समय एसएलपी वापस लेने के निर्देश जारी हुए थे। विभागीय एसीएस जेएन कंसोटिया ने ये आदेश मंत्री की सहमति से दिए थे। बाद में चौहान से वन विभाग हटाकर रामनिवास रावत को दिया गया और मामला ठंडे बस्ते में चला गया। इसी तरह, 11 जून 2025 को नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्री के लेटरपैड पर मुख्यमंत्री को पत्र भेजा गया, जिसमें गोयनका के पक्ष में सिफारिश थी। मामला उजागर होने के बाद हंगामा मच गया और मंत्री के स्टाफ का एक कर्मचारी हटाया गया, जिसने यह पत्र भेजा था।